कर्नाटक सरकार की बेदती-वरदा परियोजना का किया जा रहा विरोध
- कर्नाटक सरकार को वर्तमान में प्रस्तावित ‘बेदती-वरदा नदी जोड़ने की परियोजना’ के लिए पर्यावरणविदों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
- बेदती-वरदा नदी जोड़ने की परियोजना उत्तर कन्नड़ के सिरसी से रायचूर और कोप्पल जिलों के शुष्क क्षेत्रों में लगभग 524 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी पंप करने का प्रयास करेगी। इसे स्थानीय कार्यकर्ताओं के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है, जो कहते हैं कि यह परियोजना पश्चिमी घाट के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हिस्सों में 2,125 एकड़ जंगलों को नष्ट कर देगी। मध्य कर्नाटक में वरदा नदी तुंगभद्रा नदी की एक सहायक नदी है।
बेदती-वरदा परियोजना
- बेदती-वरदा परियोजना की परिकल्पना वर्ष 1992 में पेयजल की आपूर्ति के लिये की गई थी । इस योजना का उद्देश्य अरब सागर की ओर पश्चिम में बहने वाली एक नदी बेदती को तुंगभद्रा नदी की एक सहायक नदी वरदा के साथ जोड़ना है, जो कृष्णा नदी में मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- गदग ज़िले के हिरेवाडट्टी में एक विशाल बाँध बनाया जाएगा। उत्तर कन्नड़ ज़िले के सिरसी के मेनासागोडा में पट्टनहल्ला नदी पर एक दूसरा बाँध बनाया जाएगा।
- दोनों बाँध सुरंगों के माध्यम से वरदा तक पानी ले जाएंगे। पानी केंगरे तक पहुँच जाएगा और फिर हक्कालुमाने तक 6.88 किमी. की सुरंग से नीचे प्रवाहित होगा, जहाँ यह वरदा में शामिल हो जाएगा।
- इस प्रकार इस परियोजना में उत्तर कन्नड़ ज़िले के सिरसी-येलापुरा क्षेत्र के जल को रायचूर, गडग और कोप्पल ज़िलों के शुष्क क्षेत्रों में ले जाने की परिकल्पना की गई है।
- बेदती और वरदा नदियों की पट्टनहल्ला और शाल्मलाहल्ला सहायक नदियों से कुल 302 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी, जबकि 222 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बेदती नदी के विपरीत बने सुरेमाने बैराज से निकाला जाएगा। गडग तक पानी खींचने के लिये परियोजना को 61 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होगी। इसके बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि पानी गडग तक पहुंचेगा या नहीं।
