सूर्यनगरी का लाल बना रहा 35 देशों के साथ दुनिया के लिए कृत्रिम सूरज |
सूर्यनगरी का लाल बना रहा 35 देशों के साथ दुनिया के लिए कृत्रिम सूरज
● फ्रांस में इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएटर (आइटीईआर) के प्रोजेक्ट के तहत कृत्रिम सूर्य बनाया जा रहा है, जिसके 2025 तक पहला ट्रायल होने की उम्मीद है।
● प्रोजेक्ट में सूर्यनगरी का इण्डस्ट्रीयल इंजीनियर सचिन परमार भी शामिल है। छह महीने पहले फ्रांस पहुँचे सचिन को सूरज से पैदा होने वाली गर्मी को ठण्डा करने का टारगेट दिया गया है। वह चार साल तक प्रोजेक्ट पर कार्य करेगा। इसमें भारत, अमरीका, यूरोपियन यूनियन सहित विश्व के 35 देश शामिल हैं।
· सूरज का आकार किसी 8 मंजिली इमारत जितना होगा। इतने बड़े आकार के प्रोजेक्ट पर दुनिया में पहली बार प्रयोग हो रहा है। सफल रहे तो दुनिया को अनंत ऊर्जा की प्राप्ति होगी। यह ऊर्जा स्वच्छ ऊर्जा होगी यानी इसमें ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन और रेडियोक्टिव अपशिष्ट नहीं बनेंगे।
क्या है कृत्रिम सूरज
● परमाणविक क्रिया दो प्रकार नाभिकीय विखण्डन और नाभिकीय सलंयन पर आधारित है। वर्तमान में विश्व के समस्त परमाणु रिएक्टर और परमाणु बम की तकनीक नाभिकीय विखण्डन पर है, जिसमें एक नाभिक दो या दो से अधिक हल्के नाभिक में टूटकर अत्यधिक ऊर्जा मुक्त करता है।
· नाभिकीय संलयन में दो या दो से अधिक हल्के नाभिक मिलकर बड़े भारी नाभिक का निर्माण करके ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। दोनों ही प्रक्रियाएं अनियंत्रित व लगातार चलती रहती है।
· सूरज की ऊर्जा का स्त्रोत नाभिकीय संलयन ही है। वहां हीलियम परमाणु मिलकर संलयित होते हैं। एक तरीके से फ्रांस में आइटीईआर प्रोजेक्ट के तहत नाभिकीय संलयन आधारित रिएक्टर का निर्माण किया जा रहा है।
16 लाख डिग्री तक पहुंचेगा तापमान
● रिएटर फ्रांस की राजधानी पेरिस से करीब 700 किलोमीटर दूर है। प्रोजक्ट में हजारों वैज्ञानिक, इंजीनियर लगे हुए हैं।
· कृत्रिम सूरज का तापमान 16 लाख डिग्री सेल्सियस तक रखने की योजना है, जबकि सूरज के क्रोड का तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस होता है।
· धरती पर 16 लाख डिग्री तापमान पैदा करके नियंत्रित करना आसान नहीं होगा। वे सूरज को ठंडा रखने के लिए प्रोग्रामिंग पर कार्य कर रहे हैं। सचिन जीत कॉलेज के स्टूडेंट रहे हैं।
क्या होगा फायदा
● नाभिकीय संलयन से प्राप्त ऊर्जा स्वच्छ ऊर्जा है। इससे बिजली की समस्या का समाधान हो जाएगा।
● वर्तमान में नाभिकीय विखण्डन वाले रिएक्टर्स से बिजली उत्पादन के बाद रेडियोएक्टिव पदार्थ शेष रहता है, जिसके निस्तारण की विधि अब तक दुनिया में नहीं है। इस रेडियोएक्टिव पदार्थ को छुपाकर रखा जाता है। जापान में आई सुनामी से कुछ कंटेनर में लीकेज हो गया था, जिससे रेडियोएक्टिव पदार्थ बाहर आ गए थे।
● पेट्रोलियम पदार्थों की कमी की समस्या दूर हो जाएगी।
